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लेखनी प्रतियोगिता -11-Jun-2022 दुल्हन

दिल में हजारों अरमान लिए 

होठों पर एक मुस्कान लिए  
भविष्य के सुनहरी सपने सजाए 
कुछ शरमाते,  सकुचाते, लजाए 
लाल जोड़े की झिलमिलाहट में 
नैहर छूटने की कंपकंपाहट में 
ठिठकते, लरजते, सहमे से कदम 
आशंकित मन, चिंताएं, ढेरों भरम  
नई आशा, उमंग, उत्साह के साथ 
लाल मेंहदी वाले कोमल से हाथ 
दोनों कुलों के मान का बोझ उठाए 
भारी मन से बाबुल ने हाथ छुड़ाए 
यहां के संस्कार यहीं पर छोड़कर 
नई परंपराओं के नए मोड़ पर 
नए लोग, नया परिवेश, नया संसार 
कुछ ताने, व्यंग्य बाण, कटु प्रहार 
कल तक गुड़िया रानी थी घर में 
आज घर की महारानी बन गई  
कल तक एक छोटी बच्ची थी वह 
दुल्हन बन जिम्मेदार नारी बन गई 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
11.6.22 

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8 Comments

Gunjan Kamal

12-Jun-2022 10:35 AM

बहुत खूब

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Punam verma

12-Jun-2022 08:42 AM

Nice

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Renu

12-Jun-2022 12:30 AM

👍👍

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